Tuesday, 28 October 2014

Waste Segregation



Waste Segregation
Segregation as per Solid Waste (Management and Handling) Rules 2000
is now compulsory. Segregation in simple language means separation of
waste into DRY AND WET, so that it is easier to handle it later

Bio-Degradable Waste
(Organic Waste or Kitchen Waste)
• Vegetable
• Fruits
• Flowers
• Leaves from garden
• Wood shavings, pencil shavings

To know if a waste is bio-degradable or not, ask yourself
this question: if it is put into a pit and covered, will it
become mud or compost?
Why is Segregation important?
Segregation is important because :
• If the waste is not separated properly, it all gets mixed
up in landfills. The dangers of this is that they all leak
after a period of time, resulting in leachate or toxic
soup at the bottom, which can contaminate ground
water and release explosive methane gas.
• Methane is a green house gas, which ultimately leads
to climate change, extreme climates and droughts. We
can see the impact already in the world.
• Segregation protects health. When ragpickers put
their hands into the waste to clean it up, it results in
cuts that further leads to infections, resulting in






Non-Bio Degradable Waste
• Plastics
• Paper
• Glass
• Metal
• Frooti , and other tetrapacks
• Ponche ka purana kapra
• Aluminium foil
deterioration of a ragpicker’s health. Hence, it becomes
our responsibility to help these ragpickers by carefully
segregating the waste that is generated at our homes.
• When the waste is not separated properly it leads to
less recycling because it is not easy to remove materials
for recycling. This means many resources are wasted.
How can you segregate?
• Start segregating the waste in your own house now.
• Segregation is one of the easiest practice to follow,
it starts in your own kitchen. The waste can be
categorized as wet and dry waste.
• Take two separate bins. One, which will have all the
wet waste, and the other will have all the dry 

Global S.S.Company 

Achyut Pathak

Wednesday, 8 October 2014

स्वच्छ भारत मिशन

स्वच्छ भारत मिशन

  • महात्मा गांधी ने जिस भारत का सपना देखा था उसमें सिर्फ राजनैतिक आजादी ही नहीं थी, बल्कि एक स्वच्छ एवं विकसित देश की कल्पना भी थी।
  • महात्मा गांधी ने गुलामी की जंजीरों को तोड़कर माँ भारती को आज़ाद कराया।
  • अब हमारा कर्तव्य है कि गंदगी को दूर करके भारत माता की सेवा करें।
  • मैं शपथ लेता हूं कि मैं स्वयं स्वच्छता के प्रति सजग रहूंगा और उसके लिए समय दूंगा।
  • हर वर्ष 100 घंटे यानी हर सप्ताह 2 घंटे श्रमदान करके स्वच्छता के इस संकल्प को चरितार्थ करूंगा।
  • मैं न गंदगी करूंगा न किसी और को करने दूंगा।
  • सबसे पहले मैं स्वयं से, मेरे परिवार से, मेरे मुहल्ले से, मेरे गांव से एवं मेरे कार्यस्थल से शुरुआत करूंगा।
  • मैं यह मानता हूं कि दुनिया के जो भी देश स्वच्छ दिखते हैं उसका कारण यह है कि वहां के नागरिक गंदगी नहीं करते और न ही होने देते हैं।
  • इस विचार के साथ मैं गांव-गांव और गली-गली स्वच्छ भारत मिशन का प्रचार करूंगा।
  • मैं आज जो शपथ ले रहा हूं, वह अन्य 100 व्यक्तियों से भी करवाऊंगा।
  • वे भी मेरी तरह स्वच्छता के लिए 100 घंटे दें, इसके लिए प्रयास करूंगा।
  • मुझे मालूम है कि स्वच्छता की तरफ बढ़ाया गया मेरा एक कदम पूरे भारत देश को स्वच्छ बनाने में मदद करेगा।

स्वच्छ भारत मिशन

स्वच्छ भारत मिशन

  • महात्मा गांधी ने जिस भारत का सपना देखा था उसमें सिर्फ राजनैतिक आजादी ही नहीं थी, बल्कि एक स्वच्छ एवं विकसित देश की कल्पना भी थी।
  • महात्मा गांधी ने गुलामी की जंजीरों को तोड़कर माँ भारती को आज़ाद कराया।
  • अब हमारा कर्तव्य है कि गंदगी को दूर करके भारत माता की सेवा करें।
  • मैं शपथ लेता हूं कि मैं स्वयं स्वच्छता के प्रति सजग रहूंगा और उसके लिए समय दूंगा।
  • हर वर्ष 100 घंटे यानी हर सप्ताह 2 घंटे श्रमदान करके स्वच्छता के इस संकल्प को चरितार्थ करूंगा।
  • मैं न गंदगी करूंगा न किसी और को करने दूंगा।
  • सबसे पहले मैं स्वयं से, मेरे परिवार से, मेरे मुहल्ले से, मेरे गांव से एवं मेरे कार्यस्थल से शुरुआत करूंगा।
  • मैं यह मानता हूं कि दुनिया के जो भी देश स्वच्छ दिखते हैं उसका कारण यह है कि वहां के नागरिक गंदगी नहीं करते और न ही होने देते हैं।
  • इस विचार के साथ मैं गांव-गांव और गली-गली स्वच्छ भारत मिशन का प्रचार करूंगा।
  • मैं आज जो शपथ ले रहा हूं, वह अन्य 100 व्यक्तियों से भी करवाऊंगा।
  • वे भी मेरी तरह स्वच्छता के लिए 100 घंटे दें, इसके लिए प्रयास करूंगा।
  • मुझे मालूम है कि स्वच्छता की तरफ बढ़ाया गया मेरा एक कदम पूरे भारत देश को स्वच्छ बनाने में मदद करेगा।

Thursday, 2 October 2014

प्रधानमंत्री ने स्वच्छ भारत मिशन के शुभारंभ की तैयारियों की समीक्षा की

प्रधानमंत्री ने स्वच्छ भारत मिशन के शुभारंभ की तैयारियों की समीक्षा की

September 19, 2014 Author: admin
प्रधानमंत्री, श्री नरेन्द्र मोदी आज कहा कि मिशन स्वच्छ भारत पूरे देश का एजेंडा बन ना चाहिए। 2 अक्टूबर को शुरू होने वाले इस महा अभियान का लक्ष्य 2019 तक स्वच्छ भारत बनाना है।
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रधानमंत्री, मिशन स्वच्छ भारत के शुभारंभ की तैयारियों की समीक्षा के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।
श्री मोदी ने कहा कि 2 अक्टूबर को होने वाली गतिविधियां राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में केवल प्रधानमंत्री के आयोजन तक ही सीमित नहीं रहनी चाहिए। श्री मोदी ने कहा कि सफाई से संबधित गतिविधियां देश भर में प्रत्येक गांव में की जानी चाहिए, उन्होंने इस मिशन को सफल बनाने के लिए राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम करने के लिए आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत के लिए गांधीजी हमारे प्रेरणा होने चाहिए।
प्रधानमंत्री ने ग्राम स्तर से लेकर सभी स्तरों पर मिशन स्वच्छ भारत को कानूनी तौर पर स्थापित करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने ग्रामीण विकास मंत्रालय से सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले गांवों की संभावनाओं का पता लगाने को कहा। उन्होंने सरकारी कार्यालयों में भी सफाई के मानक स्थापित करने को कहा।
प्रधानमंत्री ने सरपंचों, सांसदों, विधायकों आदि सहित विभिन्न जनप्रतिनिधियों के लिए विशिष्ट भूमिकाएं बनाने के महत्व को रेखांकित किया।
इस अवसर पर शहरी विकास मंत्रालय, ग्रामीण विकास, मानव संसाधन विकास और सूचना एवं प्रसारण सहित विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों ने मिशन पर अपने विचारों को प्रस्तुत किया। गंगा और उसकी सहायक नदियों के किनारे सटे कस्बों को स्वच्छ भारत अभियान में सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी।
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स्वच्छ भारत मिशन

भारत सरकार द्वारा गांधी जयंती के अवसर पर राष्ट्रीय स्वच्छता जागरूकता अभियान चलाये जाने की घोषणा स्वागतयोग्य है। प्रधानमंत्री मोदी जी 2 अक्टूबर को एक बुकलेट जारी कर ‘स्वच्छ भारत मिशन’ लाँच करते हुए स्वयं इसकी शुरूआत कर लोगों को जागरूक करेंगे। समस्त देशवासी इस अभियान से जुड़कर इसे सफल बनायें इसके लिए ‘स्वच्छता शपथ’ कुछ इस प्रकार होगा-
  • महात्मा गाँधी ने जिस भारत का सपना देखा था, उसमें सिर्फ राजनैतिक आजादी ही नहीं थी, बल्कि एक स्वच्छ एवं विकसित देश की कल्पना भी थी।
  • महात्मा गांधी ने गुलामी की जंजीरों को तोड़कर माँ भारती को आजाद कराया। अब हमारा कर्तव्य  है कि गन्दगी को दूर करके भारत माता की सेवा करें।
  • मैं शपथ लेता/लेती हूँ कि मैं स्वयं स्वच्छता के प्रति सजग रहूंगा/रहूंगी और उसके लिए समय दूँगा/दूँगी।
  • हर वर्ष 100 घंटे यानी हर सप्ताह 2 घंटे श्रमदान करके स्वच्छता के इस संकल्प को चरितार्थ करूंगा/करूंगी।
  • मैं न गंदगी करूँगा न किसी और को करने दूंगा/दूंगी।
  • सबसे पहले मैं स्वयं से, मेरे परिवार से, मेरे मोहल्ले से, मेरे गांव से एवं मेरे कार्यस्थल से शुरूआत करूंगा/करूंगी।
  • मैं यह मानता/मानती हूं कि दुनिया के जो भी देश स्वच्छ दिखते हैं उसका कारण वहां के नागरिक गंदगी नहीं करते और न ही होने देते हैं।
  • इस विचार के साथ मैं गाँव हो या शहर गली-गली स्वच्छ भारत मिशन का प्रचार करूंगा/करूंगी।
  • मैं आज जो शपथ ले रहा हूँ वह अन्य 100 व्यक्तियों से भी करवाऊँगा/करवाऊँगी।
  • वे भी मेरी तरह स्वच्छता के लिए 100 घंटे दें, इसके लिए प्रयास करूंगा/करूगी।
  • मुझे मालूम है कि स्वच्छता की तरफ बढ़ाया गया मेरा एक कदम पूरे भारत देश को स्वच्छ बनाने में मदद करेगा।
            हम सभी भलीभांति जानते हैं कि यह अभियान तभी सफल हो सकेगा जब सभी भारतवासी सच्चे मन से गांधी जी के विचारों और उनकी कार्यप्रणाली को आत्मसात करेंगे। क्योंकि हमारे देश की बिडम्बना है कि हम स्वयं गांधी जी की तरह सोच नहीं बना पाते। काम को छोटा-बड़ा समझकर उसको सोचने-विचारने में ही अधिकाशं समय बर्बाद कर देते हैं। 'यह मेरा काम नहीं है, उसका काम है' जैसी धारणा का हमारे मन में गहरी पैठ है। जबकि बापू यह मानते थे कि अपनी सेवा किये बिना कोई दूसरों की सेवा नहीं कर सकता है। दूसरों की सेवा किये बिना जो अपनी ही सेवा करने के इरादे से कोई काम शुरू करता है, वह अपनी और संसार की हानि करता है। वे खुद कैसे दूसरों के लिए प्रेरणा बन जाते थे, इस पर एक प्रेरक प्रसंग देखिए- मगनवाड़ी आश्रम में सभी को अपने हिस्से का आटा पीसना पड़ता था। एक बार आटा समाप्त हो गया। आश्रमवासी रसोईया सोचने लगा कि अब क्या किया जाय? यदि वह चाहता तो स्वयं भी पीसकर उस दिन का काम चला सकता था, लेकिन चिढ़कर उसने ऐसा नहीं किया। वह सीधे गांधी जी के पास गया और बोला ‘आज रसोईघर में रोटी बनाने के न आटा है न कोई पीसने वाला है। अब आप ही बताएं, क्या करूं? गांधी जी ने शांत भाव से कहा- ‘इसमें चिन्ता की कोई बात नहीं है। चलो, मैं चलकर पीस देता हूँ।’ बापू अपना काम छोड़कर गेंहूँ  पीसने बैठ गए। जब रसोईया ने गांधी जी को चक्की चलाते देखा तो उसे बड़ी आत्मग्लानि हुई। उसने गांधी जी से कहा कि ‘बापू आप जाइये, मैं खुद ही पीस लूंगा।’ इसका गहरा प्रभाव केवल रसोईया पर ही नहीं बल्कि सभी व्यक्तियों पर पड़ा।   
आइए, स्वच्छता अभियान से जुड़कर ‘स्वच्छता शपथ’ में उल्लेखित बिन्दुओं पर आज ही अमल करते हुए देश को स्वच्छ बनाने की दिशा में अपना अमूल्य योगदान देने के लिए आगे आयें और भारत को स्वच्छ बनायें।