Tuesday, 26 August 2014

भारतीय वैज्ञानिकों ने प्लास्टिक कचरे से बनाया कार का ईधन

वाशिंगटन ।
भारतीय शोधकर्ताओंने प्लास्टिक के कचरे से कार का ईधन तैयार करने में सफलता हासिल की है। शोधकर्ताओं ने प्लास्टिक को अपेक्षाकृत कम तापमान पर पिघलाकर तरल ईधन में तब्दील किया और फिर इसे कार के इंजन में प्रयोग करने लायक बनाया। शोधकर्ताओं का कहना है कि रासायनिक रूप से यह ईधन काफी हद तक दूसरे ईधनों जैसा ही है। प्लास्टिक के एक किलो कचरे से 700 ग्राम ईधन तैयार होता है।

बाल्टी, डिब्बे, कंप्यूटर, पॉलीथीन बैग के निर्माण के लिए लो-डेंसिटी पॉलीएथलीन [एलडीपीई] का प्रयोग किया जाता है। सेंचुरियन यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट ओडिशा के केमिस्ट अच्युत कुमार पांडा नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ओडिशा के केमिकल इंजीनियर रघुवंश कुमार सिंह के साथ एलडीपीई को तरल ईधन में परिवर्तित करने के लिए सस्ती तकनीक ढूंढने की कोशिश में जुटे हुए हैं। चूंकि अधिकतर प्लास्टिक पेट्रोकेमिकल्स से बने होते हैं इसलिए यह मिश्रण इन्हें दोबारा ईधन की जगह इस्तेमाल करने लायक बना देता है।

इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एनवायरमेंट एंड वेस्ट मैनेजमेंट में प्लास्टिक से ईधन बनाने की यह पूरी प्रक्रिया प्रकाशित की गई है। अगर बड़े स्तर पर इसका इस्तेमाल संभव हो सका तो प्लास्टिक के बोझ से काफी हद छुटकारा मिल सकता है। साथ ही दुनिया को चुनौती दे रही एक और समस्या ईधन की कमी का भी निपटारा संभव है।

प्लास्टिक को पहले काओलिन कैटलिस्ट पर 400-500 डिग्री सेल्सियस पर गरम किया जाता है। इससे प्लास्टिक के लंबे पॉलीमर टूटकर एक-दूसरे से अलग हो जाते हैं। इस पूरी प्रक्रिया को थर्मो-कैटलिटिक डिग्रेडेशन कहते हैं। इससे काफी मात्रा में सूक्ष्म कार्बन युक्त अणु पैदा होते हैं। इसके बाद कई अन्य प्रक्रियाओं का इस्तेमाल कर ईधन बनाया जाता है।

कब मना पहला विश्व पर्यावरण दिवस

संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित यह दिवस पर्यावरण के प्रति वैश्विक स्तर पर राजनैतिक और सामाजिक जागृति लाने के लिए मनाया जाता है।

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इसकी शुरुआत 1972 में 5 जून से 16 जून तक संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा आयोजित विश्व पर्यावरण सम्मेलन से हुई।

5 जून 1973 को पहला विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया।

पर्यावरण के लिए हम क्या करें

1 प्रत्येक व्यक्ति प्रति वर्ष यादगार अवसरों (जन्मदिन, विवाह की वर्षगांठ) पर अपने घर, मंदिर या ऐसे स्थल पर फलदार अथवा औषधीय पौधा-रोपण करे, जहां उसकी देखभाल हो सके।

2.उपहार में भी सबको पौधे दें।

3.शिक्षा संस्थानों व कार्यालयों में विद्यार्थी, शिक्षक, अधिकारी और कर्मचारीगण राष्ट्रीय पर्व तथा महत्त्वपूर्ण तिथियों पर पौधे रोपें I

5 विद्यार्थी एक संस्था में जितने वर्ष अध्ययन करते हैं, उतने पौधे लगाएं और जीवित भी रखें।

5.प्रत्येक गांव/शहर में हर मुहल्ले व कॉलोनी में पर्यावरण संरक्षण समिति बनाई जाए।

6.निजी वाहनों का उपयोग कम से कम किया जाए। 


7 रेडियो-टेलीविजन की आवाज धीमी रखें। सदैव धीमे स्वर में बात करें। घर में पार्टी हो तब भी शोर न होने दें।

8.जल व्यर्थ न बहाएं। गाड़ी धोने या पौधों को पानी देने में इस्तेमाल किया पानी का प्रयोग करें।

9.अनावश्यक बिजली की बत्ती जलती न छोडें। पॉलीथिन का उपयोग न करें। कचरा कूड़ेदान में ही डालें।

10.अपना मकान बनवा रहे हों तो उसमें वर्षा के जल-संरक्षण और उद्यान के लिए जगह अवश्य रखें।

ऐसी अनेक छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देकर भी पर्यावरण की रक्षा की जा सकती है। ये आपके कई अनावश्यक खर्चों में तो कमी लाएंगे साथ ही पर्यावरण के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी निभाने की आत्मसंतुष्टि भी देंगे।  

वर्ल्ड एनवायरमेंट डेः पर्यावरण बचाएं, सेहत भी बनाएं

वर्ल्ड एनवायरमेंट डेः पर्यावरण बचाएं, सेहत भी बनाएं

राहुल आनंद नई दिल्ली।। आज विश्व पर्यावरण दिवस है। हम आपको बताते हैं कि रोजमर्रा की जिंदगी में कई छोटी-छोटी बातों का ध्यान रख हम कैसे अपने पर्यावरण को सुरक्षित और बेहतर बना सकते हैं। वर्ल्ड वाइड फंड (WWF) और बीओपी भी इस मुहिम में हमारे साथ जुड़ रहे हैं। इनका भी मानना है कि डिवेलपमेंट के साथ-साथ पर्यावरण को सुरक्षित बनाए रखना भी जरूरी है, ताकि भावी पीढ़ी के लिए हम एक बेहतर कल तैयार कर पाएं।



बर्गर, पिज्जा खाते समय जरा सोचें: बर्गर, पिज्जा जैसे फास्ट फूड पेपर में लिपटे होते हैं। वहीं साथ में मिलने वाला कैचअप प्लास्टिक के पॉउच में तो कोल्ड ड्रिंक भी प्लास्टिक कप में मिलती है। प्लास्टिक पैकिंग मटेरियल्स को डीकम्पोज होने में 400 साल का समय लगता है। ऐसे में क्विक मील ऑर्डर करने से पहले इस बात का ख्याल रखें कि कहीं आप पर्यावरण का नुकसान करने तो नहीं जा रहे हैं।
 
घर में पार्टी है तो कोल्ड ड्रिंक्स की 10 बॉटल मंगाने से बेहतर है कि आप दो बड़ी बॉटल मंगा लें।

ऑफिस में पेपर के दोनों तरफ पिंट लें, पुराने प्रिंटआउट को फिर से यूज कर सकते हैं, बिना वजह प्रिंट लेने से बचें, छोटी इन्फॉमेर्शन ई-मेल से शेयर करें।

हजारों गैलन पानी बर्बाद: एक आम आदमी हर दिन टॉयलेट में 26.7 पर्सेंट, कपड़े धोने में 21.7 पर्सेंट, शॉवर में 16.8 पर्सेंट, लीकेज से 13.7 पर्सेंट पानी खर्च कर देता है। एक स्टडी के अनुसार ऐसे में एक साल में 5,475 गैलन पानी बर्बाद हो जाता है।

ब्रश व शेविंग के दौरान नल खुला छोड़ देने से रोजाना 15 गैलन पानी बर्बाद हो जाता है।

शॉवर से हर पांच मिनट में कम से कम 75 लीटर पानी गिरता है। नहाने के लिए शॉवर की जगह बाल्टी के पानी का प्रयोग करें तो काफी पानी बच सकता है।

कपड़े धोते समय दो-तीन बकेट रखें। एक में पानी जमा कर गंदे कपड़े धोएं, फिर दूसरी बाल्टी में जमा पानी से कपडे़ धोएं। इसी प्रकार बर्तन धोने में सतर्क रहें। कपड़े धोने के बाद बचे पानी का इस्तेमाल कार धोने और पौधों में पानी देने के लिए करें।

बिजली बिल ऐसे कम करें: अमूमन लोग टीवी रिमोट से ऑफ कर देते हैं, लेकिन स्टैंडबाय मोड पर बिजली खर्च होती रहती है।

लिफ्ट के बजाय सीढ़ी का इस्तेमाल करें। बिजली तो बचेगी, सेहत भी दुरुस्त रहेगी।

बाल सुखाने, कपड़े धोने या पानी गर्म करने में इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के इस्तेमाल से में रोशनी से ज्यादा बिजली खर्च होती है।


देखें: बिजली बिल बचाने के काम के टिप्स
ऑफिस में अपनी सीट छोड़ने से पहले कंप्यूटर, एसी, लाइट और पंखें बंद करना न भूलें।

घर में 100 वॉट के एक बल्ब की जगह चार सीएफएल लगाएं। सीएफएल लंबे समय तक रोशनी देता है और पर्यावरण को बचाने में कारगर साबित हो रहा है।

ठंडी कूल मेट्रो है न: एक स्टडी के अनुसार दिल्ली में 72 लाख कार हैं। अधिकतर लोग कार में अकेले चलते हैं और सड़क पर ज्यादा स्पेस लेते हैं। उनके वाहनों से निकलने वाला धुआं दिल्ली को पलूटेड भी कर रहा है। क्यों न दिल्ली की शान मेट्रो के आरामदायक सफर को अपने रूटीन में शामिल कर लें।