स्टाफ की कमी बनी सफाई के आगे रोड़ा
Dec 23, 2011, 04.00AM IST
1
वरिष्ठ संवाददाता ॥ नई दिल्ली
कर्मचारियों की कमी सफाई के रास्ते का रोड़ा बनी हुई है। कुछ इलाकों में दर्जनों सफाई कर्मचारी हैं तो कहीं एक भी नहीं हैं। सबसे ज्यादा बेहाल अनधिकृत कॉलोनियां हैं। यही वजह है कि बड़ी सड़कों पर जहां मिकैनिकल स्वीपर से सफाई हो रही है वहीं कॉलोनियों की सड़कों पर कचरा बिखरा रहता है। गुरुवार को आयोजित एमसीडी सदन की बैठक में यह मुद्दा जोर-शोर से उठा। दोनों पक्षों के नेता अधिकारियों पर जमकर बरसे।
सदन के नेता सुभाष आर्य द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब में अधिकारियों ने बताया कि पूरी दिल्ली से रोजाना छह हजार से 6500 मीट्रिक टन कचरा इकट्ठा होता है। कचरा उठाने का काम चार प्राइवेट कंपनियों को सौंपा गया है। सिविल लाइन, रोहिणी और द्वारका में घर-घर से कचरा उठाने की व्यवस्था की गई है। अन्य इलाकों से ट्रक, टेंपो के जरिए ढलावों से कचरा उठाकर भलस्वा, ओखला और गाजीपुर लैंडफिल साइट पर पहुंचाया जाता है। पूरी दिल्ली की 60 फुट से चौड़ी सड़कों की सफाई के लिए 28 मिकैनिकल स्वीपर मशीनें लगाई गई हैं, जिनमें से 27 काम कर रही हैं। इससे सड़कों की सफाई व्यवस्था में सुधार आया है। साफ सफाई के लिए पूरी दिल्ली में 36,419 रेग्युलर सफाई कर्मचारी, 2,785 डेलीवेजेज और 59,711 सब्सिच्यूट सफाई कर्मचारियों के पद हैं, मगर कई अनधिकृत कॉलोनियों में एक भी कर्मचारी की तैनाती नहीं हुई है। सिटी जोन, करोल बाग, सदर पहाड़गंज की अनधिकृत कॉलोनियों के लिए एक भी कर्मचारी नहीं है। साउथ जोन में सिर्फ 304 डेली वेजेज कर्मचारियों से काम चलाया जा रहा है। सेंट्रल जोन में 583 सब्सिच्यूट कर्मचारी हैं और वेस्ट जोन में 722। कुछ ऐसी ही हालत रोहिणी, सिविल लाइन, नरेला, रोहिणी, नजफगढ़, शाहदरा साउथ और शाहदरा नॉर्थ जोनों की भी है।
Security Guard,Housekeeping & Solid Waste Management Services
Friday, 18 October 2013
साउथ दिल्ली की तंग गलियों में फैले कूड़े-कचरे को उठाने के लिए साउथ एमसीडी ने नई पहल की है
तंग गलियों से भी कूड़ा उठाएंगे ये रिक्शे
0
नवभारत टाइम्स | Jun 27, 2013, 08.00AM IST
सिविक सेंटर :
साउथ दिल्ली की तंग गलियों में फैले कूड़े-कचरे को उठाने के लिए साउथ एमसीडी ने नई पहल की है। इन गलियों में डोर टु डोर गारबेज कलेक्शन के लिए और घरों के बाहर सड़क पर पड़े कूड़े को उठाने के लिए साउथ एमसीडी नए तरह के रिक्शे ला रही है। साइकल से खींचे जाने वाले इन रिक्शों की डिजाइन दूसरे रिक्शों से काफी अलग होगी और इनकी बॉडी भी फाइबर की होगी, जिससे इन्हें आसानी से खींचा जा सकेगा।
साउथ
भारत बना दुनिया का सबसे बड़ा कचराघर
भारत बना दुनिया का सबसे बड़ा कचराघर
Monday, April 8, 2013, 8:41
मुद्दा
Dumping Yard1पिछले दिनों ब्रिटेन में जारी एक रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि भारत दुनिया के सबसे बड़े कचड़ा घर में तब्दील हो गया है। दुनिया के विकसित देश स्वयं को स्वच्छ रखने के लिए अपना कूड़ा-कचरा विकाशील देशों विशेषकर भारत, इंडोनेशिया और चीन में डम्प कर रहे हैं। रिसाइकिलिंग के नाम पर जमा हो रहे कचरे के चलते भारत विष्व के सबसे बड़े कचरा घर में तब्दील होता जा रहा है।
ब्रिटेन के ‘डिपार्टमेंट आफ इनवायरमेंट फूड एंड रूरल अफेयर’ की ओर से जारी रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि प्रतिवर्ष 12 मिलियन टन के कचरे का आखिर क्या होता है। चिंता की बात यह है कि कचरे को विदेशों खासकर एशिया में भेजने का यह सिलसिला पिछले एक दषक में दूगना हो गया है। कानून कहता है कि विदेश भेजने के बाद कचरे के रिसाइकिलिंग अनिवार्य है, जबकि पर्यावरण विभाग स्वयं यह स्वीकार करता है कि कुछ देशों में रिसाइकिलिंग के नाम पर कचरा जलाया या घरती में दबाया जा रहा है।
भारत में जितनी मात्रा में कचरा घरती में दबाया जा रहा है, उतनी ही तेजी से लैंडफिल गैसों के उत्सर्जन का खतरा बढ़ रहा है। घरती म दबे कचरे से लैंडफिल गैसों का उत्सर्जन होता है जिससे पर्यावरण बुरी तरह प्रभावित होता है। जनता में भयानक बीमारियां पैदा होती है। घ्यान रहे कि लैंडफिल गैंसों के कारण कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी भी हो सकती है।
Dumping Yard2पहले विकसित देश भी अपना कूड़ा धरती में दफना देते थे, किन्तु इस पर प्रतिबंध लगने के कारण उन्होंने अपना कचरा डम्प करने के लिए उन देशों की तलाष की जहां रिसाइकिलिंग करने के नाम पर कचरा निर्यात किया जा सके। आष्चर्य होगा, किन्तु विष्व के 105 देश अपना औद्योगिक कचरा भारत भेजते हैं। पर्यावरण एजेंसियां इस बात पर चिंता जाहिर कर ही हैं कि जितना कचरा विदेशों से भारतीय बंदरगाहों पर आता है उसमें से महज 40 या 50 फीसदी कचरा ही रिसाईकिल हो पाता है, बांकि या तो जला दिया जाता है या फिर धरती में दबा दिया जाता है।
चिंता की बात यह है कि सिर्फ अमीर देशों को भी इसके लिए दोष नहीं दिया जा सकता। इन देशों में बकायदा कचरा निस्तारण के लिए कानुन बने है। किन्तु भारत सरकार सारे खतरे को जानने के बाद भी इस संबंध में कोई कानून नहीं बना रहा है। महज कुछ आर्थिक फायदों के लिए भारतीय कानून पर्यावरण और भारत की जनता की जान के लिए इतना बड़ा खतरा मोल ले रहा है। दुनिया में चिंता का विषय बन चुके कचरा निस्तारण पर गंभीर कदम उठाने के बजाय भारत सरकार बेसल कन्वेंषन को समर्थन दे रहा है। यह ऐसी नीति है जिसके अन्तर्गत भारत अपने बंदरगाहों पर विकसित देशों को अपना कचरा निर्यात करने की सहमति देता है। विकसित देश धड़ाधड़ अपना कचरा भारत में डम्प कर रहे हैं।
नगर निगम हाउस ने सेक्टर 22 में 16 अप्रैल से डोर टू डोर गारबेज कलेक्शन पॉयलट प्रोजेक्ट को शुरू करने की मंजूरी दे दी। इसके सफल होने पर तीन महीने बाद दूसरे सेक्टरों में प्रोजेक्ट शुरू किए जाएंगे।
नगर निगम हाउस ने सेक्टर 22 में 16 अप्रैल से डोर टू डोर गारबेज कलेक्शन पॉयलट प्रोजेक्ट को शुरू करने की मंजूरी दे दी। इसके सफल होने पर तीन महीने बाद दूसरे सेक्टरों में प्रोजेक्ट शुरू किए जाएंगे।
इसके तहत रेजिडेंशियल एरिया , बूथ और सिंगल एससीओ व एससी एफ पर गारबेज कलेक्शन चार्जेज 30 से 75 रुपये होंगे। वहीं मंदिर और गुरुद्वारा को चार्जेज फ्री किए जाने की सिफारिश भी की गई। धोबी घाट के चार्जेज फाइनल नहीं हो सके।
नगर निगम कमिश्नर वीपी सिंह ने कहा कि हाईकोर्ट की डायरेक्शन पर सेक्टर 22 में डोर टू डोर गारबेज कलेक्शन के पायलट प्रोजेक्ट को शुरु किया जा रहा है, अगर यह प्रोजेक्ट तीन महीने तक सफल रहता है तो इसे शहर के दूसरे सेक्टरों में शुरू किया जाएगा। सेक्टर में पहले से गारबेज डोर टू डोर गारबेज कलेक्शन में लगे कर्मचारियों को ठेकेदार द्वारा रखने की प्राथमिकता दी जाएगी। अगर कर्मचारी ठेकेदार के साथ काम करना नहीं चाहते तो दूसरे आदमियों को मौका दिया जाएगा। इस प्रोजेक्ट को शुरू किए जाने के लिए एरिया काउंसलर और अधिकारियों के साथ पिछले आठ दिन से कार्य करने में लगे हैं।
भाजपा के अरुण सूद ने टिप्पणी की , सभी प्रोजेक्ट प्रदीप छाबड़ा के वार्ड से ही क्यों शुरू किए जा रहे हैं। इस पर निगम कमिश्नर वीपी सिंह ने कहा कि यह सेक्टर 22 में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया जा रहा है। अगर यह तीन महीने में सफल रहता है तो दूसरे सेक्टरों में भी लागू होगा। इसपर सूद और भाजपा के अन्य पार्षदों ने कहा कि हमारे वार्ड से सेक्टरों में भी इसे लागू किया जाए। निगम कमिश्नर ने कहा कि जरूर।
भाजपा की आशा जसवाल ने कहा कि तय किए गए रेट फ्लोर वाइज होने चाहिए। पांच मरला और सात मरला की कोठियों में फस्र्ट और सेकंड फ्लोर पर रहने वालों की आपस में लड़ाई झगड़ा होगा। कांग्रेस के प्रदीप छाबड़ा ने कहा कि गारबेज कलेक्शन चार्जेज रेजिडेंट्स और मार्केट वेलफेयर एसोसिएशन्स के साथ मीटिंग करके तय किए गए हैं। अगर कोठियों में पानी के दो मीटर लगे हैं तो उनपर प्रति मीटर अलग से चार्जेज होंगे। अभी मंदिर , गुरुद्वारा में चार्जेज तय नहीं किए गए हैं। इसपर मनोनीत पार्षद सतपाल बंसल, भाजपा के देवेश मौदगिल व अन्य ने कहा कि धार्मिक स्थलों को छोड़ा जाए।
कूड़ा उठाने के चार्जेज
12 व 13 टाइप हाउसेस- 30 रुपये
9, 10, 11 टाइप हाउसेस-40 रुपये
5 मरला कोठी- 50 रुपये
7 मरला कोठी -60 रुपये
10 मरला कोठी-75 रुपये
शास्त्री मार्केट, वेजिटेबल मार्केट बूथ-30 रुपये
अन्य बूथ-40 रुपये
जूस/पान/ चाट/हलवाई शॉप-100 रुपये
रेस्टोरेंट ग्राउंड फ्लोर- 150 रुपये
एससीओ/एससी एफ- 75 रुपये
होटल/ एससीओ/एससी एफ सिंगल बे- 150 रुपये
होटल/सिंगल वेज एससीओ ग्राउंड फ्लोर- 150 रुपये
होटल सिंगल वे/एससीओ/एससी एफ फस्र्ट/ सेकंड फ्लोर- 100
अरोमा/पिकाडली/सनबीम होटल- 2 हजार रुपये
किरण सिनेमा- 2 हजार
स्कूल/पॉलीक्लिनिक/वेटनरी हॉस्पिटल- एक हजार रुपये
टैक्सी स्टैंड- 150 रुपये
कोयला डिपू- 300 रुपये
पेट्रोल पंप- 250 रुपये
क्रैच-100 रुपये
Subscribe to:
Posts (Atom)