भारत बना दुनिया का सबसे बड़ा कचराघर
Monday, April 8, 2013, 8:41
मुद्दा
Dumping Yard1पिछले दिनों ब्रिटेन में जारी एक रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि भारत दुनिया के सबसे बड़े कचड़ा घर में तब्दील हो गया है। दुनिया के विकसित देश स्वयं को स्वच्छ रखने के लिए अपना कूड़ा-कचरा विकाशील देशों विशेषकर भारत, इंडोनेशिया और चीन में डम्प कर रहे हैं। रिसाइकिलिंग के नाम पर जमा हो रहे कचरे के चलते भारत विष्व के सबसे बड़े कचरा घर में तब्दील होता जा रहा है।
ब्रिटेन के ‘डिपार्टमेंट आफ इनवायरमेंट फूड एंड रूरल अफेयर’ की ओर से जारी रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि प्रतिवर्ष 12 मिलियन टन के कचरे का आखिर क्या होता है। चिंता की बात यह है कि कचरे को विदेशों खासकर एशिया में भेजने का यह सिलसिला पिछले एक दषक में दूगना हो गया है। कानून कहता है कि विदेश भेजने के बाद कचरे के रिसाइकिलिंग अनिवार्य है, जबकि पर्यावरण विभाग स्वयं यह स्वीकार करता है कि कुछ देशों में रिसाइकिलिंग के नाम पर कचरा जलाया या घरती में दबाया जा रहा है।
भारत में जितनी मात्रा में कचरा घरती में दबाया जा रहा है, उतनी ही तेजी से लैंडफिल गैसों के उत्सर्जन का खतरा बढ़ रहा है। घरती म दबे कचरे से लैंडफिल गैसों का उत्सर्जन होता है जिससे पर्यावरण बुरी तरह प्रभावित होता है। जनता में भयानक बीमारियां पैदा होती है। घ्यान रहे कि लैंडफिल गैंसों के कारण कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी भी हो सकती है।
Dumping Yard2पहले विकसित देश भी अपना कूड़ा धरती में दफना देते थे, किन्तु इस पर प्रतिबंध लगने के कारण उन्होंने अपना कचरा डम्प करने के लिए उन देशों की तलाष की जहां रिसाइकिलिंग करने के नाम पर कचरा निर्यात किया जा सके। आष्चर्य होगा, किन्तु विष्व के 105 देश अपना औद्योगिक कचरा भारत भेजते हैं। पर्यावरण एजेंसियां इस बात पर चिंता जाहिर कर ही हैं कि जितना कचरा विदेशों से भारतीय बंदरगाहों पर आता है उसमें से महज 40 या 50 फीसदी कचरा ही रिसाईकिल हो पाता है, बांकि या तो जला दिया जाता है या फिर धरती में दबा दिया जाता है।
चिंता की बात यह है कि सिर्फ अमीर देशों को भी इसके लिए दोष नहीं दिया जा सकता। इन देशों में बकायदा कचरा निस्तारण के लिए कानुन बने है। किन्तु भारत सरकार सारे खतरे को जानने के बाद भी इस संबंध में कोई कानून नहीं बना रहा है। महज कुछ आर्थिक फायदों के लिए भारतीय कानून पर्यावरण और भारत की जनता की जान के लिए इतना बड़ा खतरा मोल ले रहा है। दुनिया में चिंता का विषय बन चुके कचरा निस्तारण पर गंभीर कदम उठाने के बजाय भारत सरकार बेसल कन्वेंषन को समर्थन दे रहा है। यह ऐसी नीति है जिसके अन्तर्गत भारत अपने बंदरगाहों पर विकसित देशों को अपना कचरा निर्यात करने की सहमति देता है। विकसित देश धड़ाधड़ अपना कचरा भारत में डम्प कर रहे हैं।
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